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मोदी बनना आसान नहीं।

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मोदी बनना आसान नहीं है  नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब दो मौकों पर उनसे कोई भी व्यक्ति जाकर मिल सकता था ...पहला मौका होता था गुजराती नव वर्ष जो दीपावली के अगले दिन होता है इसे बेसता वर्ष कहते हैं और दूसरा मौका सिर्फ महिलाओं के लिए होता है जो रक्षाबंधन के दिन होता है,  इन दोनों अवसर पर मोदी जी अपने आवास पर एक स्टेज पर खड़े हो जाते हैं और कोई भी व्यक्ति नव वर्ष के दिन उन्हें नव वर्ष मंगलमय हो बोलकर आगे चला जाता है रक्षाबंधन के दिन कोई भी महिला उन्हें स्टेज पर जाकर राखी बांध सकती थी ..  एक बार रक्षाबंधन के दिन उनकी सगी भतीजी स्टेज पर पहुंची और राखी बांधते हुए बोली काका मैंने बीएड कर लिया है मेरे लिए कोई टीचर की नौकरी मिल जाती तो अच्छा रहता.. मोदी जी ने उसे सब के सामने स्टेज पर कहा बेटी यहां जितनी  महिलाएं बैठी है सभी मेरी बहन है सभी लड़कियां मेरी भतीजी है ..इतना बोल कर उन्होंने उसे ₹101 दे कर विदा कर दिया,,  इसीलिए मैं नरेंद्र मोदी का कट्टर समर्थक हूं और बार बार कहता हूं मोदी बनना आसान नहीं है। 

कांग्रेस की मनोदशा पर कांग्रेस खुद जिम्मेदार

"देश के मैकेनिकों का जरूरी है सशक्तिकरण '  - राहुल गांधी कांग्रेस को लगता है कि किस्मत ही खराब है। हर तरह का टोटका कर रही है पर नतीजा जीरो बटे जीरो हो जाता है। पिछले दिनों करोल बाग की बाइकर्स मार्केट में घुसकर रिंच पेंचकस लेकर मोटरसाइकिल की मरम्मत करने लगे थे पर उसमें मजाक का पात्र बन गए। टोटका काम नहीं आया। यह तो मीडिया विभाग ने बाद में बताया कि यहां वह सुपर मैकेनिकों के एक ग्रुप से चर्चा किया था जो अब खुलकर सामने आया है। सोचा होगा कि जैसे 2014 के चुनाव में मोदी ने चाय पर चर्चा की थी और जिसका सकारात्मक परिणाम निकला था वही यहां भी फिट बैठेगा पर ऐसा हुआ नहीं और इसका कारण यह है कि राहुल गांधी एक राजकुल के राजकुमार हैं कोई आम आदमी नहीं। इसीलिए जनता इस तरह टोटकों को मजाक में ले लेती है। कोई भाव नहीं देती। आगे आगे देखिए होता है क्या।अभी तो किसी स्कूल में जाकर पढ़ाएंगे। किसी गटर में घुसकर सफाई कर्मचारियों से बात करेंगे। खाली दिमाग शैतान का घर होता है।अभी तो बहुत कुछ करना है।बरसात का मौसम है और ऐसे मौसम आश्चर्य नहीं कि भाई साहब किसी दिन छाते की मरम्मत करते नजर आएंगे। हाय री राजनीति क

मंहगाई से सजगता

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जापान एक ऐसा देश है जहां पर जब भी कोई खाने वाली सामान महंगी हो जाती है तो वहां के लोग उसे खाना ही छोड़ देते हैं। और फिर वह अपने आप सस्ती हो जाती है क्योंकि कोई पूछता ही नहीं उसको।    और हमारा देश! यह ऐसा देश है जहां पर जो सामान ज्यादा महंगा होता है लोग उसे खरीद कर अपने आपको बड़ा महसूस करते हैं। अभी इस समय टमाटर पर चर्चा हो रही है कि टमाटर बहुत महंगा हो गया।  टमाटर बहुत महंगा हो गया रे।      मैं कहता हूं टमाटर खाना ही छोड़ दो अपने आप सस्ता हो जाएगा।     आपको क्या लगता है कि दो-चार 10 दिन टमाटर खाना छोड़ देंगे तो विटामिन की कमी हो जाएगी या फिर आप दुबले हो जाएंगे या फिर आपकी शारीरिक बनावट बदल जाएगी। एक महीना टमाटर खाना छोड़ दीजिए।      और हां जापान दुनियां का सबसे विकसित देश और औद्योगिकी के मामले में सबसे बड़ा देश ऐसे ही नहीं बना है उसकी सोच बड़ी है।                          🌹 धन्यवाद 🌹

हिन्दूत्व

हिंदुत्व  भारत में  हिंदू राष्ट्रवाद  का प्रमुख रूप है। * हिंदुत्व शब्द का इस्तेमाल पहली बार 1892 में चंद्रनाथ बसु ने किया था और बाद में इस शब्द को 1923 में  विनायक दामोदर सावरकर  ने लोकप्रिय बनाया। *यह हिंदू राष्ट्रवादी स्वयंसेवी संगठन  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  (रा॰स्व॰सं),  विश्व हिंदू परिषद  (वि॰हिं॰प),  भारतीय जनता पार्टी  (भा॰ज॰पा) और अन्य संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से संघ परिवार कहा जाता है।  *हिंदुत्व आंदोलन को  दक्षिणपन्थी राजनीति   के रूप में और "शास्त्रीय अर्थों में लगभग फासीवादी" के रूप में वर्णित किया गया है, जो समरूप बहुसंख्यक और सांस्कृतिक आधिपत्य की एक विवादित अवधारणा का पालन करता है। * कुछ लोग फासीवादी लेबल पर विवाद करते हैं, और सुझाव देते हैं कि हिंदुत्व "रूढ़िवाद" या "नैतिक निरपेक्षता" का एक चरम रूप है। *2014 में प्रधानमंत्री के रूप में  नरेंद्र मोदी  के चुनाव के साथ हिंदुत्व को भारतीय राजनीति में मुख्य धारा में लाया गया

राजनीति में उदासीनता

राजनीतिक उदासीनता  (Political apathy) से अभिप्राय व्यक्ति की  राजनीति  के प्रति उदासीनता और राजनीतिक सहभागिता में ह्रास से लगाया जाता है। राजनीतिक उदासीनता वास्तव में अधिक व्यापक अवधारणा ‘राजनीतिक अलगाव’ का एक भाग है। राजनीतिक उदासीनता का अर्थ व्यक्ति में राजनीति के प्रति विकर्षण, शक्तिहीनता और राजनीतिक नेतृत्व पर से विश्वास उठ जाना है। राजनीतिक उदासीनता को समझने के लिए राजनीतिक अलगाव को समझना आवश्यक है। यद्यपि अलगाव एक प्राचीन अवधारणा है तथापि सामाजिक विज्ञानों में इसने महत्वपूर्ण स्थान पूंजीवादी समाजों के अध्ययन के परिणाम स्वरूप ही ग्रहण किया है।  फ्रांसीसी भाषा  में ‘एलीने’ (Aline) तथा  स्पेनी भाषा  में ‘एलिण्डो’ ऐसे शब्द हैं जिनका प्रयोग व्यक्ति की उन मानसिक दशाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जिसमें वह अपने आपको परदेशी समझने लगता है तथा अपने एवं अन्य व्यक्तियों के प्रति पृथक्करण अनुभव करने लगता है। वर्तमान समय में इस शब्द का प्रयोग चिन्ताग्रस्त मनोदशाओं अथवा असन्तुलित मनोदशाओं व प्रवृत्तियों के लिए किया जाता है जो व्यक्ति को समाज से पर्यावरण से और स्वयं से उदासीन बना देती हैं

SUCCESS TO NATION

 They always have an excuse for not celebrating the success of the Nation. मतलब..'उन' लोगों के पास हमेशा ही बहाने होते हैं, देश की सफलता पर खुश ना होने के. देश की GDP बढ़ गयी... तो Per Capita पर हल्ला मचाएंगे. जब मैं कहूँगा कि पिछले आठ साल में Per capita Income में 50% का उछाल आया है... तब कहेंगे कि HDI index में पीछे हैं. जब मैं कहूँगा कि HDI में पिछले कुछ सालों में सुधार है, तब कहेंगे कि Hunger Index में भारत पीछे है. जब मैं कहूँगा कि Hunger Index में हम बुरे हैं, तो हमसे कहीं ऊपर Ranking वालों के पेट हमारा देश क्यों भर रहा है?? फिर ये लोग कहते हैं कि Happiness Index में हम पीछे हैं.... फिर मैं इन्हे तथ्य देता हूँ कि इस index में हमसे 100 ranking ऊपर वाले देश कंगाल हो गए... वहाँ पेट्रोल डीज़ल के लिए पांच पांच दिन लोग line में लगते हैं... कई देश तो ऐसे हैं जहाँ घर से बाहर निकलने के बाद जिन्दा आने की गारंटी नहीं.... लेकिन वह भी Happiness Index में हमसे आगे हैं... ऐसा क्यों? फिर इन्हे कुछ नहीं सूझता तो बस अम्बानी अडानी वाले ट्रैक पर आ जाते हैं बेचारे..... क्योंकि जितनी चाबी भरी रा

POLITICAL THOUGHT

POLITICAL THOUGHT......  '14 से पहले कांग्रेस जब सत्ता में थी और भाजपा सत्ता के लिए संघर्ष कर रही थी, कहीं भी मोदी जी का यह बयान नहीं दिखा कि उन्होंने किसी खुले मंच से कह दिया हो पूरी मीडिया कांग्रेस के लिए काम करता है। बिक चुका है। जबकि यह सत्य था कि कभी कभार पता नहीं चलता था, सत्ता में मीडिया है या मीडिया में सत्ता? प्रधानमंत्री का विदेश टूर होता था तो पत्रकार सब सरकारी खर्चे पर फूड और अकोमोडेशन अटेंड करते थे। उसके बाद जब वहां से आते थे तो एक पर एक पुरस्कार, पद्म पुरस्कार। अपने यूरोपीय दौरे पर डेनमार्क में एक सभा को संबोधित करके जब मोदी जी बाहर निकले तो अंजना ओम कश्यप खड़ी थी। वह बोली कि भीतर नहीं जाने दिया गया, फिर मोदी जी ने 'ओ माय गॉड, ऐसा कैसे हुआ पूछेंगे' कह कर निकल गए। ऐसा कहें कि मीडिया को सत्ता में हस्तक्षेप से बिल्कुल बाहर कर दिया गया। वे दिन अब गए जब स्टूडियो में बैठकर कैबिनेट मिनिस्टर के लिए नाम तय होते थे। एक कुशल राजनीतिज्ञ के तौर पर मोदी जी ने जब पहली बार पीएम बनने के बाद मीडिया के बारे में कुछ बोला तो उन्होंने कहा कि जब पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस